अमेरिका के अरोप अडानी ग्रुप पर और राहुल गांधी का बयान अदानी ग्रुप, जो भारत के सबसे बड़े व्यापारिक समूहों में से एक है, आज कल वैश्विक जांच के केंद्र में है। हाल की रिपोर्टों के मुताबिक, संयुक्त राज्य अमेरिका की तरफ से अडानी ग्रुप के बिजनेस प्रैक्टिस और राजनीतिक कनेक्शन पर सवाल उठाए गए हैं। आरोपों में भारत में भी विपक्षी नेता, खास कर राहुल गांधी, को एक नया राजनीतिक मुद्दा मिल गया है।
अमेरिका के लोग क्या हैं? अमेरिका स्थित रिपोर्ट और थिंक टैंक ने अडानी ग्रुप पर कई आरोप लगाए हैं, जिनमें से कुछ बड़े बिंदु हैं:
1:संपत्तियों का ओवरवैल्यूएशन: अडानी ग्रुप के ऊपर अपनी संपत्तियों के मूल्य को कृत्रिम रूप से बढ़ाकर निवेश आकर्षित करने का विकल्प है।
2:स्टॉक हेरफेर: ये कह रहा है कि अडानी ग्रुप ने अपने स्टॉक की कीमत कृत्रिम रूप से ऊंची रखी है और अनुचित व्यवहार जारी रखा है।
3:पर्यावरण उल्लंघन: अडानी ग्रुप के बड़े पैमाने पर प्रोजेक्ट पर पर्यावरण को नुक्सान पहुंचाने के आरोप हैं।
4:राजनीतिक पक्षपात: ये भी कहा गया है कि अडानी ग्रुप ने अपनी ग्रोथ के लिए सरकार के साथ करीबी संबंधों का फायदा उठाया है, खास कर पीएम नरेंद्र मोदी के साथ उनकी दोस्ती का।
राहुल गांधी का रिएक्शन
राहुल गांधी ने अमेरिकी आरोपों के बाद अडानी ग्रुप पर अपनी आलोचना और तेज़ कर दी है। ये रहे उनके कुछ बयान:
1) क्रोनी कैपिटलिज्म का आरोप: राहुल गांधी का कहना है कि मोदी सरकार “क्रोनी कैपिटलिज्म” को बढ़ावा दे रही है। अन्होन अडानी ग्रुप को एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया गया है जहां एक खास कॉर्पोरेट को अनुचित लाभ दिया जा रहा है।
2) स्वतंत्र जांच की मांग: राहुल गांधी ने अडानी ग्रुप के बिजनेस प्रैक्टिस पर एक स्वतंत्र जांच की मांग की है। उनका कहना है कि ये जनता के संसाधन और भरोसे का सवाल है।
3) मोदी-अडानी संबंध: राहुल गांधी बार-बार मोदी और अडानी के बीच करीबी रिश्तों को उजागर करते हैं। उनको सवाल उठाया कि क्यों अडानी ग्रुप को इतने बड़े सरकारी कॉन्ट्रैक्ट मिलते हैं जबकी उन पर इतने करीब हैं?
4) पारदर्शिता और जवाबदेही का फोकस: राहुल गांधी ने सरकार से मांग की है कि वो साफ करे कि अडानी ग्रुप के खिलाफ अमेरिका के आरोपों का पता कैसे चलेगा।
अडानी ग्रुप का बयान
अडानी ग्रुप ने सभी आरोपों को नकारा है और उन्हें “राजनीति से प्रेरित” बोला है। समूह का कहना है कि उनका व्यवसाय सभी नियामक मानदंडों का पालन करता है और वे कॉर्पोरेट प्रशासन के उच्चतम मानकों का पालन करते हैं। अडानी ग्रुप ने अपनी तरफ से भारत की अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे के विकास में अपने योगदान को उजागर किया है।
क्या दाव पर है?
अडानी विवाद सिर्फ एक कॉर्पोरेट मुद्दा नहीं है, बल्कि ये कुछ बड़े सवाल उठती है: राजनीति और बिजनेस के बीच सांठगांठ का असर क्या है? वैश्विक जांच से भारत की छवि पर क्या प्रभाव पड़ेगा? क्या भारत में कॉर्पोरेट पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सख्त नियम होने चाहिए?
निष्कर्ष
अमेरिका के आरोप और राहुल गांधी के आरोपों ने एक बार फिर क्रोनी कैपिटलिज्म और कॉरपोरेट-राजनीतिक संबंधों पर बहस को जिंदा कर दिया है। अडानी ग्रुप पर लग रहे हैं आरोप और विपक्ष के सवालों का जवाब देना सरकार और ग्रुप डोनो के लिए जरूरी होगा।
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