परिचय
भारत के सबसे अमीर कारोबारियों में से एक गौतम अडानी एक बार फिर वैश्विक सुर्खियों में हैं। अमेरिकी न्याय विभाग (डीओजे) और सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) ने हाल ही में अदानी और उनके समूह पर बड़े पैमाने पर रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी योजना चलाने का आरोप लगाया है। इस कारन अडानी ग्रुप को सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी काफी नुक्सान उठाना पड़ा है।
क्या है ये कांड?
अमेरिकी अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि अडानी समूह ने भारतीय अधिकारियों को 265 मिलियन डॉलर की रिश्वत दी थी ताकि अरबों डॉलर के नवीकरणीय ऊर्जा अनुबंध मिल सकें। ये भी दावा किया गया है कि निवेशकों को गुमराह किया गया है, ग्रुप ने अपनी वित्तीय सेहत के बारे में गलत जानकारी दी।

आरोप विस्तार से रिश्वतखोरी:
डीओजे का कहना है कि अडानी ग्रुप के कुछ वरिष्ठ अधिकारी, जिनमें गौतम अडानी के भतीजे सागर अडानी भी शामिल हैं, ने रिश्वत का इस्तेमाल करके अनुकूल सौदे सुरक्षित किए।
कपटपूर्ण अभ्यावेदन:
एसईसी का आरोप है कि अमेरिकी निवेशकों को गलत डेटा दिया गया ताकि उनका भरोसा जीता जा सके। अडानी ग्रुप का रिएक्शन अडानी ग्रुप ने सभी आरोपों को “निराधार” कहा है और कहा है कि वह पूरी तरह से अनुपालन करता है और हर कानून के साथ है। उनका कहना है कि ये आरोप राजनीति से प्रेरित हैं।
अडानी ग्रुप पर असर ये आरोपों के बाद अडानी समूह की सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों में 20% तक की गिरावट देखी गई। निवेशक अब सतर्क हो गए हैं, और समूह की प्रतिष्ठा भी प्रभावित हुई है।
हिंडनबर्ग रिपोर्ट कनेक्शन ये नए आरोप 2023 की हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के बाद आए हैं। हमारी रिपोर्ट में भी अडानी ग्रुप पर स्टॉक हेरफेर और धोखाधड़ी के आरोप लगे थे, जिसका प्रभाव तभी से देखने को मिला था।
निष्कर्ष
ये घोटाला सिर्फ एक कानूनी लड़ाई नहीं है, बल्कि अडानी ग्रुप के लिए अपनी विश्वसनीयता फिर से बनाने की एक बड़ी चुनौती है। क्या ये आरोप हैं अडानी की वैश्विक महत्वाकांक्षाओं को रोक देंगे? हां ग्रुप अपनी पोजीशन रिकवर कर पाएगा? ये देखना अब दिलचस्प होगा. इस हाई-प्रोफाइल मामले पर अधिक अपडेट के लिए हमारे साथ बने रहें।
नोट: ये लेख सूचनात्मक उद्देश्य के लिए है और केवल सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी पर आधारित है।
