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Breaking News: दो छोटे बच्चों की हार्ट अटैक से मौत | Heart Attack | Aligarh | Hindi News | Latest News

Heart Attack

Heart Attack इस वक्त दो बड़ी खबरें हम आपके सामने रखते हैं और ये दोनों ही खबरें हैरान कर देने वाली है पहली खबर है अलीगढ़ से जहां दो छोटे बच्चों की हार्ट अटैक से मौत हो गई दूसरी खबर हिमाचल से है जहां नकली दवाओं के करीब 38 सैंपल फेल हुए हैं और यह दोनों ही खबरें हमारी जिंदगी हमारी सेहत से जुड़े हुई हैं हमारे साथ इन दोनों ही मसलों पर चर्चा के लिए खास मेहमान भी मौजूद हैं हम चर्चा करेंगे लेकिन एक पहले छोटी सी रिपोर्ट आपको दिखाते हैं [संगीत] क्यों दगा दे रहा है दिल मासूम जिंदगियों को निगल रहा दिल का रोग छोटी सी उम्र में क्यों आ रहा है
हार्ट अटैक बच्चों में हार्ट अटैक के मामले क्यों बढ़ रहे हैं अलीगढ़ में खेलते खेलते एक बच्ची अचानक जमीन पर गिर गई आनन फानन में अस्पताल ले जाया गया लेकिन उस मासूम की मौत हो गई डॉक्टरों ने जांच की तो पता चला कि हार्ट अटैक आने से महज 8 साल की बच्ची की जिंदगी चली गई महज 8 साल की बच्ची की हार्ट अटैक से हुई मौत जहां चिंताजनक है तो वहीं अपने पीछे कई सवाल भी छोड़ गई है आखिर कैसे छोटी उम्र में बच्ची की दिल की धड़कन रुक गई कैसे दिल्ली की बीमारी अब उम्र नहीं देख रही है क्योंकि परिवार वालों की माने तो बच्ची को दिल से जुड़ी कोई बीमारी नहीं थी वह पूरी तरह से

                                                      Picture Credits To Amar Ujala

स्वस्थ थी अचानक उसके सीने में तेज दर्द उठा और वह बेहोश होकर गिर गई घर वाले उसे अस्पताल लेकर गए जहां उसकी मौत हो गई वहीं परिवार के साथ-साथ अस्पताल के डॉक्टर भी 8 साल बच्ची को हार्ट अटैक आने से हैरान है डॉक्टर पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद ही हार्ट अटैक की वजह बताने की बात कह रहे हैं साथ ही बच्ची का पुराना मेडिकल रिकॉर्ड भी खंगाला जा रहा है इस बात का पता चलाया जा रहा है कि बच्ची को हाल फिलहाल में बुखार या अन्य कोई तकलीफ तो नहीं हुई थी और इसी पर चर्चा करने के लिए दो खास मेहमान इस वक्त हमारे साथ जुड़े हुए हैं इस वक्त हमारे साथ स्टूडियो में डॉक्टर
मुमुक्षु आर्य जी हैं जानेमाने कार्डियोलॉजिस्ट हैं और डॉक्टर मनोज कुमार जी भी हमारे साथ जुड़े हुए हैं वो भी जानेमाने हृदय रोग विशेषज्ञ हैं बहुत बहुत स्वागत आप दोनों मेहमानों का लेकिन उससे पहले एक तस्वीर आप लोगों के लिए स्पष्ट कर देना चाहता हूं क्योंकि अलीगढ़ में आज दिल को झकझोर देने वाली दो खबरें सामने आई और क्या हुआ जरा यह आप समझ लीजिए 8 साल की बच्ची थी उसकी मौत हो गई बच्ची क्या कर रही थी आंगन में खेल रही थी दौड़ भाग कर रही थी दूसरे बच्चों के साथ खेल रही थी और खेलते खेलते उसकी जान चली गई उसको सीने में दर्द हुआ और सीने में दर्द के बाद वह
बच्ची बेहोश हो गई और इसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया उधर एक 14 साल का बच्चा था उसकी भी मौत हो गई वो भी दौड़ भाग कर रहा था दौड़ते दौड़ते उसकी जान चली गई बताया जा रहा है कि प्रैक्टिस कर रहा था और प्रैक्टिस के दौरान ही उस 14 साल के बच्चे की जान चली गई तो ये दो मामले सामने आए हैं एक 14 साल का बच्चा और एक 8 साल की बच्ची लेकिन सबसे पहले डॉक्टर मुमुक्षु आद्य मैं आपसे समझना चाहूंगा अमूमन हम लोगों को कहते हैं कि आप 255 30 साल के हो जाएं तो दिल की जांच कराते रहे क्योंकि एक उम्र के बाद कई चीजें ऐसी होती हैं जिनकी
जांच कराना जरूरी है लेकिन छ सात आ साल के बच्चों की जांच कराने के लिए ले जाए क्या हां आप ठीक कह रहे हैं मुख्य कारण जो है हार्ट अटैक का बच्चों में या नौजवानों में वो है लाइफ स्टाइल का खराब हो जाना डाइट का ठीक से ना होना कुछ विटामिन डिफिशिएंसी होती है बीव है बी स है है ब 12 है उनकी डेफिन जो इनर बल होती है आर्टरी की वो डैमेज हो जाती है उसके ऊपर फिर जमा होने जाता है कोलेस्ट्रोल जमा होने जाता है फाइब जमा होने ल जाता है डब्ल्यूबीसी जमा होने लग जाते है तो क्लट बन जाता है छोटे बच्चों में भी इस तरह बन सकता है वो लाइफ स्टाइल खराब होने का जंक
फूड का ज्यादा प्रयोग करने से या ठीक से डाइट ना लेने से यह प्रॉब्लम बच्चों को भी हो जाती है दूसरा जो कारण है कि कुछ बीमारियां बचपन से ही होती है जन्म जात ही होती है जैसे बच्चों का बचपन में गला खराब रहता है हम ध्यान नहीं देते जिन बच्चों का रिपीटेडली गला खराब रहता है या टसल बने रहते हैं उसके कारण हार्ट की जो वल्व है वो वो भी डैमेज हो जाते हैं वो सुकड़ जाते हैं कई बार तो इतना सुकड़ जाते हैं कि उसका बाद में लेटर टाइज में ऑपरेशन करना पड़ता है माइट्रो सटोज जिसको हम कहते हैं वो उसकी बैलूनिंग भी कर देते हैं वो माइटल
वाल को हम चेंज भी करना पड़ जाता है वो पता नहीं चलता कई बार बच्चों को प्रॉब्लम नहीं होती थोड़ा बड़ी उम्र में जाते हैं पाच सात साल में जाकर पता बच्चे का सांस फूलता है थोड़ा सा काम चलता है तेज चलता है सांस फूलता है वो माइटो स्नो से ब सकड़ जाता है उसके कारण होता है वो इस तरह की बीमारियों से बचने के लिए या कई बार बचपन में हार्ट की दीवार जो होती है दोनों हिस्सों के बीच में दीवार जिसको हम सेप्टम बोलते हैं एटल सेप्ट वेंट्रिकुलर उसमें छेद हो जाता है एटल सेप्टल डिफेक्ट या वेंट्रिकुलर डिफेक्ट हम उसको कहते हैं वो भी कई बार बचपन से ही होता है पैदा होते
ही होता है तो उसका पता इको से प इको कार्डियोग्राम जो हार्ट का सा होता है वो बच्चों में भी करवा लेना चाहिए क्योंकि ठीक बच्चों में भी इस तरह की जांच की खासतौर से करा लेनी चाहिए डॉक्टर साहब ये बता रहे लेकिन डॉक्टर मनोज जी आप क्या रिकमेंड करेंगे पेरेंट्स के लिए क्योंकि ऐसे केसेस को क्या प्रिडिक्ट करना आसान है किसी के लिए भी देखिए आपके जो रिपोर्ट में हमने दो केसेस देखे उसमें एक तो बहुत छोटी बच्ची है जो कि आ साल की है ऐसे बच्चों को जो हार्ट अटैक होता है उसम मैक्सिमम टाइम जो है कोई जटल या जन्म से होने वाली बीमारी होती है
बच्चों में हार्ट अटैक के सबसे महत्त्वपूर्ण जो कारण है वो है अल कपा बोलते हैं उसमें जो हार्ट को सप्लाई करने वाली जो लेफ्ट कॉनरी आर्टरी होती है वो पल्मोनरी आर्टरी से निकलती है ऐसे बच्चों को हार्ट अटैक होता है दूसरा बच्चा जो 14 साल का है उसको दिल का दौड़ा पड़ा देखिए अधिकांश दर्शक ये समझते हैं कि हर जो सडन कार्डियक डेथ होता है वो हार्ट अटैक की वजह से होता है ब मुझे लगता है कि इसमें कुछ और कारण है जैसे निश्चित तौर पर 10 साल प पहले हमारे य हार्ट अटैक होता है हमारे यहां यंग इफाक बहुत ज्यादा है 20 से 30 साल की उम्र में हार्ट अटैक होता है बट
ये जो पीडियाट्रिक एज ग्रुप है या जो बहुत छोटे बच्चे हैं उनमें जो अधिकांशत जो हार्ट अटैक की वजह होती है व कंटल हार्ट डिजीज होती है मुझे लगता है स्कूल में जो प्रीवेंटिव हेल्थ प्रोग्राम है वो चलाना पड़ेगा क्योंकि मुझे लगता है कि सबसे ज्यादा है कि आपकी अगर अर्ली डायग्नोसिस हो जाती है जैसे कोई कटल हार्ट डिजीज है अगर वो डायग्नोज हो जाता है जैसे डॉक्टर आर्य भी बता रहे थे इको कार्डियोग्राफ एक बहुत आसान टूल है उससे आप हार्ट की देख सकते हैं बहुत बार क्या होता है कि हार्ट की गति इरेगुलर हो जाती है जिसको हम लोग बोलते हैं कि जैसे हाइपरट्रॉफिक दिवाले
मोटी है हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी या कुछ चैनलोपैथी होते हैं जिसमें कि इलेक्ट्रिकल एक्टिविटीज बच्चे की नॉर्मल नहीं रहती है उसकी वजह से सडन कार्डिक डेथ इंसीडेंस बढ जाता है

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