के साथ-साथ बांग्लादेशी घस पैट का मुद्दा जोर शोर से उछाला ऐसे राष्ट्रवादी मुद्दे योगी आदित्यनाथ के मंच से भी जोरशोर से प्रचारित किए गए लेकिन चुनावी नतीजे बताते हैं कि हेमंत सोरेन के चेहरे के आगे बीजेपी ऐसा कोई चेहरा पेश नहीं कर पाए ना तो बाबूलाल मरांडी और ना ही चंपई सोरेन जो हेमंत को छोड़कर बीजेपी में गए थे कोई भी नेता जनता की नजर में हेमंत सोरेन का विकल्प नहीं बन [संगीत] पाया झारखंड में बीजेपी चंपई सोरेन को चुनावी फ्रंट पर लाकर यह मानकर चल रही थी कि व आदिवासी बहुल दर्जन भर सीटों पर हेमंत सोरेन को डेंट करें लेकिन चुनावी
नतीजे बता रहे हैं कि हेमंत सोरेन के मुकाबले बीजेपी का प्रदर्शन पिछले विधानसभा चुनाव से भी खराब रहा
भी अपने संकल्प पत्र में शामिल किया था बीजेपी ने यह भी नैरेटिव गढ़ने की कोशिश की थी कि भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हेमंत सोरेन ने ना तो राज्य का विकास किया ना ही यहां के आदिवासी और महिलाओं का कल्याण बीजेपी पूरे चुनाव में प्रचारित करती रही कि झारखंड का यह चुनाव भ्रष्टाचारी सुरेंद्र सरकार को सत्ता से बेदखल करने का चुनाव है लेकिन इस मुद्दे पर बीजेपी जनता का भरोसा जीत नहीं पाई यह चुनावी नतीजों से साफ है रोटी बेटी माटी की रक्षा के मुद्दे पर हेमंत सोरेन के नेतृत्व में जनता का भरोसा निर्णायक साबित हुआ हेमंत सुरेन जब तक जेल से बाहर आते
कल्पना सोरेन ने महिलाओं के बीच अपनी छवी सीएम की पत्नी से कहीं ज्यादा अपने घर की औरत वाली बना चुकी थी उन्होंने ना सिर्फ अपने पति के अपमान का बदला वोट से लेने के लिए माहौल बनाया बल्कि महिलाओं के लिए पहले से बेहतर योजनाओं का वादा किया झारखंड में मैया सम्मान योजना में जो राशि पहले हर महीने 1500 मिलती थी उसे बढ़ाकर 00 किया गया बल्कि खाद्य सुरक्षा गारंटी के तहत दिया जाने वाला अनाज पा से 7 किलो करने की बात कही गई साथ ही गैस सिलेंडर हर परिवार को 50 में देने का वादा किया गया हालांकि बीजेपी ने भी अपनी तरफ से ऐसे ही वादे किए थे लेकिन जनता ने भरोसा हेमंत
सोरेन पर ज्यादा किया महिला विकास के लिए जो योजनाएं बीजेपी के लिए झारखंड में नाकाम साबित हुई वह महाराष्ट्र में जीत के लिए निर्णायक साबित हुई झारखंड की तरह महाराष्ट्र में महिलाओं के लिए लाडली बहीण योजना के तहत हर महीने 00 देने का वादा किया गया है इसकी बदौलत ही हर महिला वोटों का प्रतिशत महाराष्ट्र में ज्यादा दर्ज किया गया इस योजना के लिए खास तौर पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने पहल की इस योजना को शिंदे ने अपना ब्रेन चाइल्ड बताकर की सफलता का पूरा क्रेडिट अपने पास रखा है